विश्व स्तनपान सप्ताह – जिले में 01 से 07 अगस्त तक विभिन्न स्वास्थ्य संस्थानों में कार्यक्रम का किया जाएगा आयोजन

विश्व स्तनपान सप्ताह – जिले में 01 से 07 अगस्त तक विभिन्न स्वास्थ्य संस्थानों में कार्यक्रम का किया जाएगा आयोजन

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:सदर अस्पताल में प्रसव के बाद धात्री माताओं को गुलाब का फूल देकर किया गया सम्मानित:

मां का गाढ़ा पीला दूध नवजात के लिए अमृत समान: डॉ सरिता पाण्डेय

नवजात शिशुओं को स्तनपान कराने के लिए सामुदायिक स्तर पर हम सभी को बढ़ चढ़ कर आने की जरूरत: सिविल सर्जन

श्रीनारद मीडिया, छपरा (बिहार):

स्तनपान, पालन- पोषण का एक स्वाभाविक और महत्वपूर्ण हिस्सा है। आइए हम लोग एक ऐसा माहौल बनाएं जहां हर मां को कभी भी और कहीं भी स्तनपान कराने के लिए सशक्त और समर्थ महसूस हो। उक्त बातें सदर अस्पताल में प्रसव कक्ष की प्रभारी निष्ठा मोदनवाल ने सदर प्रखंड के बड़ी मुसेहरी गांव निवासी धीरज सिंह की 25 वर्षीय पत्नी कृतिका सिंह को प्रसव के बाद नवजात शिशु को स्तनपान कराने के दौरान गुलाब के फूल से सम्मानित करने के बाद कही।

उन्होंने यह भी कहा कि स्थानीय अस्पताल में प्रसव कराने के लिए आने वाली महिलाओं को स्तनपान के महत्व के प्रति अवगत कराया जाएगा। साथ ही नवजात शिशु के जन्म के छः महीने तक विशेष स्तनपान, उसके बाद दो साल से अधिक समय तक उचित पूरक आहार के साथ स्तनपान जारी रखना शिशु के जीवन को सर्वात्तम शुरुआत प्रदान करने के लिए जागरूक किया गया।

 

मां का गाढ़ा पीला दूध नवजात के लिए अमृत समान: डॉ सरिता पाण्डेय
सदर अस्पताल की महिला रोग विशेषज्ञ डॉ सरिता पाण्डेय ने बताया कि नवजात शिशु को अनिवार्य रूप से जन्म के एक घंटे के अंदर स्तनपान कराना जरूरी होता है। क्योंकि जन्म के बाद एक घंटा बाद मां का पहला गाढ़ा पीला दूध नवजात शिशुओं के लिए अमृत समान होता है। इसके सेवन से नवजात शिशुओं में रोग प्रतिरोधात्मक क्षमता का विकास होता है। सबसे अहम बात यह है कि स्तनपान कराने मात्र से नवजात शिशुओं को निमोनिया, डायरिया जैसे गंभीर रोगों से बचाव भी करता है। साथ ही शिशुओं के बेहतर पोषण को मजबूत आधार प्रदान करता है। मां का दूध सुरक्षित व पूरी तरह से स्वच्छ होता है। जो शिशु को जीवन के पहले कुछ महीनों तक आवश्यक ऊर्जा व पोषक तत्व प्रदान करता है। साथ ही कुपोषण के खिलाफ जारी लड़ाई में एक मजबूत हथियार साबित हो सकता है। हम लोग स्तनपान को स्वास्थ्य के लिए महत्वपूर्ण मानते हुए माताओं और शिशुओं का समर्थन करते हैं। क्योंकि स्तनपान शिशुओं को आवश्यक पोषक तत्व और एंटीबॉडी प्रदान करता है, मां और शिशुओं के बीच के बंधन को मजबूत करता है, हालांकि इन दोनों के लिए कई स्वास्थ्य लाभ होते हैं। जैसे – आदर्श पोषण और एंटीबॉडी प्रदान करना, स्वस्थ वृद्धि और विकास को समर्थन देना, संक्रमण और बीमारियों के जोखिम को कम करता है।

 

नवजात शिशुओं को स्तनपान कराने के लिए सामुदायिक स्तर पर हम सभी को बढ़ चढ़ कर आने की जरूरत:
सिविल सर्जन डॉ सागर दुलाल सिन्हा ने बताया कि विश्व स्तनपान सप्ताह को लोगों के बीच स्तनपान से संबंधित महत्व से अवगत कराना ही इसका मुख्य उद्देश्य है। हालांकि इन दिनों अधिकांश धात्री माताएं अपने नवजात शिशुओं को स्तनपान कराने से परहेज करती आ रही हैं। लेकिन स्तनपान से शारीरिक कमजोरी व शारीरिक संरचना में बदलाव का भ्रम महिलाओं को स्तनपान से रोकता है। जो बिल्कुल गलत धारणा है। स्तनपान कराने वाली महिलाओं को स्तन व ओवरी के कैंसर का खतरा बहुत कम होता है। स्तनपान को बढ़ावा देने के लिए जिला मुख्यालय स्थित सदर अस्पताल सहित जिले के अन्य सभी अस्पतालों जहां प्रसव कराया जाता है वहां बोतल बंद दूध मुक्त क्षेत्र बनाने की कवायद विभागीय स्तर पर अनवरत जारी है। जिले की तमाम धात्री सहित कामकाजी महिलाओं से अपील की जाती है कि अपने देश के भविष्य माने जाने वाले नवजात शिशुओं को स्तनपान कराने के लिए बढ़ चढ़ कर आने की जरूरत है। विश्व स्तनपान सप्ताह के मौके पर प्रत्येक दिन जिले के सभी स्वास्थ्य संस्थानों पर अलग- अलग गतिविधियों के माध्यम से प्रसव कराने आई महिला और उनके महिला अभिभावकों को स्तनपान के महत्व से अवगत कराया जाएगा।
साथ ही विभिन्न जन जागरूकता अभियान के लिए जागरूकता रैली, विचार गोष्ठी, सामूहिक परिचर्चा सहित कई अन्य कार्यक्रम आयोजित किया जाएगा।

जिले में 01 से 07 अगस्त तक विश्व स्तनपान सप्ताह आयोजित किया जा रहा है। इसका मुख्य उद्देश्य आम लोगों को स्तनपान के महत्व के प्रति जागरूक करना है। जिसको लेकर वैश्विक अभियान के दौरान एक से सात अगस्त तक विभिन्न स्तरों पर जागरूकता संबंधी कार्यक्रम आयोजित किया जाएगा। इस दौरान सदर अस्पताल के लेखापाल बंटी रजक, प्रसव कक्ष की प्रभारी निष्ठा मोदनवाल, स्टाफ नर्स कृति कुमारी, मोनिका कुमारी, प्रीति कुमारी और एएनएम माला कुमारी, ममता कार्यकर्ता माना देवी सहित कई अन्य उपस्थित थे।

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