विश्व कैंसर दिवस- 10 फरवरी तक जागरूकता अभियान और निःशुल्क कैंसर स्क्रीनिंग शिविर का होगा आयोजन
विश्व कैंसर दिवस पर स्वास्थ्य केंद्रों में होगी विशेष स्क्रीनिंग, कैंसर से सुरक्षा के लिए संतुलित खान- पान बेहद जरूरी: एनसीडीओ
श्रीनारद मीडिया, सीवान (बिहार):
कैंसर एक भयावह बीमारी है, जिससे लोगों की जान को खतरा रहता है। इससे सुरक्षा के लिए लोगों को इसके प्रति जागरूक होने की आवश्यकता है। हालांकि कैंसर के प्रति लोगों में जागरूकता लाने के उद्देश्य से प्रत्येक वर्ष 04 फरवरी को विश्व कैंसर दिवस का आयोजन किया जाता है। जिले में कैंसर रोगियों की आवश्यक जांच व इलाज के लिए सदर अस्पताल के ओपीडी में कैंसर स्क्रीनिंग सेंटर कार्यरत है। जहां संभावित कैंसर मरीजों की आवश्यक जांच की जाती है। इसके लिए ओपीडी में कैंसर विशेषज्ञ चिकित्सक उपस्थित रहते हैं। ओपीडी में कैंसर ग्रसित मरीजों की पहचान होते ही उन्हें विशेष इलाज के लिए कैंसर अस्पताल भेजा जाता है, जहां मरीजों को पर्याप्त इलाज उपलब्ध कराकर उन्हें कैंसर से मुक्त कराया जाता है।
इस संबंध में सिविल सर्जन डॉ श्रीनिवास प्रसाद ने बताया कि स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्रालय भारत सरकार द्वारा निर्धारित राष्ट्रीय स्वास्थ्य कैलेंडर के अनुरूप प्रत्येक वर्ष 4 फरवरी को विश्व कैंसर दिवस के रूप में मनाया जाता है। इस अवसर पर राज्य भर में 4 से 10 फरवरी 2025 तक विभिन्न जागरूकता और निःशुल्क कैंसर स्क्रीनिंग शिविरों का आयोजन किया जाएगा। जिसको लेकर राज्य स्वास्थ्य समिति के कार्यपालक निदेशक सुहर्ष भगत ने पत्र जारी कर आवश्यक दिशा- निर्देश दिया है। शिविर में स्तन और गर्भाशय मुख कैंसर के साथ- साथ मधुमेह और उच्च रक्तचाप की भी जांच की जाएगी। खासतौर पर महिलाओं के लिए यह शिविर अत्यंत लाभकारी होगा। हालांकि इसके जांच की सुविधा के लिए स्वास्थ्य केंद्रों पर अलग से व्यवस्था की जाएगी, जिसमें स्क्रीनिंग और मरीजों के बैठने की सुविधा होगी। कैंसर सहित अन्य गैर- संचारी रोगों के संभावित कारणों, लक्षणों और रोकथाम के उपायों के प्रति लोगों को जागरूक किया जाएगा।
जिला गैर संचारी रोग नियंत्रण पदाधिकारी डॉ अब्दुल शमीम खान ने बताया कि आजकल बाजार में पाए जा रहे अधिकतर खाद्य पदार्थ ज्यादातर केमिकल्स के मिश्रण से बना होता है। इन खाद्य पदार्थों के अधिक इस्तेमाल से कैंसर को बढ़ावा मिलता है। इसके अलावा बहुत से लोग धूम्रपान व तंबाकू का सेवन करते हैं जो मुंह के कैंसर का मुख्य कारण है। डब्लूएचओ की रिपोर्ट के अनुसार, वर्तमान में भारत में कैंसर मरीजों की संख्या लगभग 25 लाख से ज्यादा है। नेशनल हेल्थ प्रोफाइल रिपोर्ट- 2019 के अनुसार प्रत्येक वर्ष लगभग 70 हजार लोगों की मौत कैंसर की वजह से होती है। इनमें से 80 प्रतिशत मौतें लोगों के उदासीन रवैये के कारण होती है। लिहाजा कैंसर से बचाव के लिए लोगों को संतुलित खान- पान का सेवन करना चाहिए। जिसमें ताजे फल व हरी सब्जियां मुख्य रूप से शामिल होनी चाहिए। इनमें मौजूद विटामिन व मिनरल्स कैंसर की आशंका को कम करने में काफी मददगार साबित होते हैं। इसके अलावा नियमित व्यायाम और शरीर का सन्तुलित वजन भी कैंसर होने से बचाए रखने में सहायक होता है।
होमी भाभा कैंसर हॉस्पिटल व रिसर्च सेंटर मुजफ्फरपुर की वरीय चिकित्सक सह कैंसर विशेषज्ञ डॉ शिवांगी सिंह का कहना है कि कैंसर के संभावित मरीज मिलने पर उन्हें बेहतर इलाज के लिए होमि भाभा कैंसर अस्पताल व रिसर्च सेंटर (एचबीसीएच) मुजफ्फरपुर के साथ ही देश के अन्य विभिन्न कैंसर अस्पतालों में भेजा जाता है। जहां कैंसर के मरीजों का विशेष रूप से ध्यान रखते हुए इलाज किया जाता है। हालांकि कैंसर की शुरुआती समय में पहचान होने से इसका इलाज आसानी से हो सकता है। लेकिन कैंसर के तीसरे स्टेज पर होने की स्थिति में इसके इलाज में मुश्किलें बढ़ जाती हैं और जान का भी खतरा बढ़ जाता है। इसलिए सभी लोगों को कैंसर के लक्षण दिखाई देने पर अनिवार्य रूप से जांच करवाना चाहिए। वैसे तो प्रतिदिन स्थानीय स्तर पर सदर अस्पताल के ओपीडी में कैंसर का स्क्रीनिंग किया जाता है लेकिन विश्व कैंसर दिवस पर जिले के सभी स्वास्थ्य केंद्रों में कैंसर के लिए जागरूकता अभियान के साथ ही विशेष रूप से कैंसर स्क्रीनिंग शिविर का आयोजन किया जाएगा। जहां क्षेत्र के संभावित कैंसर मरीजों की जांच करते हुए उन्हें आवश्यक दवाइयां उपलब्ध कराई जाएगी।
सदर अस्पताल परिसर स्थित ओपीडी में कार्यरत होमी भाभा कैंसर हॉस्पिटल व रिसर्च सेंटर मुजफ्फरपुर की चिकित्सक डॉ सेबी ने बताया कि सामान्य तौर पर लोग तीन तरह के कैंसर से ग्रसित हो सकते हैं, जैसे – मुंह का (ओरल) कैंसर, स्तन (ब्रेस्ट) कैंसर एवं गर्भाशय मुंह (सर्वाइकल) कैंसर। हालांकि किसी भी इंसान द्वारा विभिन्न प्रकार के तंबाकू का सेवन ओरल कैंसर होने का कारण बनता है। महिलाओं की बढ़ती उम्र, छोटी उम्र में पहला मासिक धर्म का होना, पहला प्रसव 30 साल की उम्र के बाद होना, कोई बच्चा न होना, महिलाओं द्वारा अपने बच्चों को दूध न पिलाना, देर से मासिक धर्म का रूकना, मद्यपान करना, हार्मोनल इलाज करवाना, परिवारिक इतिहास में स्तन कैंसर ग्रसित सदस्य का होना आदि महिलाओं के स्तन कैंसर का प्रमुख कारण होता है। गर्भाशय मुख (सर्वाइकल) कैंसर के कारणों में लैंगिक गतिविधि की जल्द शुरुआत, छोटी उम्र में विवाह, 20 साल की उम्र से पहले गर्भधारण, थोड़े समय के अंतर पर बहुत बार गर्भवती होना, जननांगों की अच्छी सफाई न होना, जननांग नली संक्रमण खासकर ह्यूमन पापिलोमा वायरस (एचपीवी) संक्रमण, तम्बाकू की लत आदि हो सकता है। अगर किसी व्यक्ति को कैंसर के ऐसे लक्षणों की जानकारी मिलती है तो उन्हें तुरंत नजदीकी अस्पताल में जांच करवानी चाहिए।
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