विश्वपर्यावरणदिवस: पर्यावरण की सुरक्षा से ही संभव है मानव जाति का अस्तित्व, कोरोना काल ने पर्यावरण की सुरक्षा की महता को किया है उजागर
सहयोगी संस्था के सहयोग से 500 से अधिक औषधीय एवं फलदार वृक्षों का हुआ रोपण:
1000 से अधिक लोग पर्यावरण सुरक्षा मुहिम में हुए शामिल:
सहयोगी संस्था के कैडरों ने संभाली अभियान की जिम्मेदारी:
श्रीनारद मीडिया, पटना, (बिहार):
पर्यावरण सम्पूर्ण मानव जाति के अस्तित्व की सुरक्षा की बाग़-ड़ोर संभालती है। ऐसे में यह अधिक महत्वपूर्ण हो जाता है कि हम पर्यावरण को सुरक्षित रखने का प्रयास करते रहें। विगत 2 सालों में कोरोना जैसी महामारी का आना कहीं न कहीं पर्यावरण सुरक्षा के प्रति हमारी उदासीनता को उजागर करता प्रतीत होता है। कोरोना की दूसरी लहर में कई लोगों को सिर्फ़ ऑक्सीजन की कमी के कारण ही जान गंवाने पड़े हैं। यह वही ऑक्सीजन है जो पेड़-पौधे निःस्वार्थ भाव से हमारे लिए देते रहते हैं। वहीं, कोरोना संक्रमण ने रोग प्रतिरोधक क्षमता को मजबूत करने में औषधीय जड़ी-बूटी की भी उपयोगिता किसी से छिपी नहीं है। सामान्य शब्दों में कहें तो पर्यावरण महामारी काल में भी हमारे लिए सुरक्षा कवच के रूप में कार्य करता रहा। विश्व भर में प्रत्येक साल 6 जून को विश्व पर्यावरण दिवस मनाया जाता है। इस बार का पर्यावरण दिवस अधिक मायने रखता है, क्योंकि हमारे साथ सम्पूर्ण विश्व आज इस महामारी से संघर्ष कर रहा है। इसलिए पर्यावरण की महत्ता को सार्थक बनाने की जरूरत और जिम्मेदारी अधिक बढ़ जाती है। इस दिशा में घरेलू हिंसा एवं लिंग आधारित भेद-भाव जैसे मुद्दे पर कार्य कर रही सहयोगी संस्था इसे मुहिम की तरह चला रही है एवं अधिक से अधिक लोगों को इसमें शामिल करने का प्रयास कर रही है।
500 से अधिक औषधीय एवं फलदार वृक्षों का हुआ रोपण: कार्यकारी निदेशक
सहयोगी संस्था की कार्यकारी निदेशक रजनी ने बताया कि विश्व पर्यावरण दिवस को उनकी संस्था ने एक मुहिम का स्वरुप दिया है। इसका नतीजा है कि सहयोगी संस्था के सहयोग से अभी तक 500 से अधिक औषधीय एवं फलदार वृक्षों का हुआ रोपण किया गया है। वहीँ, इस जागरूकता मुहिम में अभी तक 1000 से अधिक लोग शामिल भी हुए हैं जो यह प्रदर्शित करता है कि लोग अब पर्यावरण सुरक्षा जैसे अति-महत्वपूर्ण विषय के प्रति संवेदनशील हो रहे हैं।
सहयोगी संस्था के केडर कर रहें है मुहिम में सहयोग: रजनी
रजनी ने बताया कि विगत 3 दिनों से पर्यावरण सुरक्षा की मुहिम सहयोगी संस्था के द्वारा चलायी जा रही है, जिसे सफल बनाने में संस्था के केडर के सहयोग कर रहे हैं। उन्होंने कहा कि प्रकृति पर्यावरण को बढ़ने में सिर्फ़ सहयोग कर सकती है, जबकि इसे सुरक्षित रखने की नैतिक जिम्मेदारी हम सबों की है। हमें यह स्मरण में लाना ही होगा कि जितना हम पर्यावरण से निःशुल्क प्राप्त कर रहे हैं, कम से कम उसके बदले हम कुछ पौधों का रोपण कर उसे वापस जरुर करें। उन्होंने कहा कि यह किसी एक व्यक्ति या किसी विशेष संस्था की जिम्मेदारी तक सिमित न रहे, बल्कि समाज के हरेक वर्ग के लोग इसके लिए आगे आयें एवं पर्यावरण को सुरक्षित रखने के साथ उसकी वृद्धि में भी सहयोग करें।