हुसैनगंज कृषि भवन में विश्व मृदा  दिवस समारोह पूर्वक मनाया गया

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श्रीनारद मीडिया, सीवान (बिहार):

सीवान जिले के हुसैनगंज प्रखंड के कृषि भवन में विश्व मिट्टी दिवस समारोह पूर्वक मनाया गया, जिसमें मुख्य अतिथि प्रखंड आत्मा अध्यक्ष शम्भु नाथ सिंह ने कार्यक्रम का उद्घाटन किया तथा इस अवसर पर मृदा (मिट्टी) स्वास्थ्य कार्ड का वितरण किया।

शम्भु नाथ सिंह ने बताया कि मिट्टी की रक्षा ही हमारी सुरक्षा है, इस थीम के आधार पर प्रखंड क्षेत्र के किसान भाईयों को जागरूक किया गया। विश्व मृदा दिवस संयुक्त राष्ट्र द्वारा हर वर्ष 5 दिसंबर को मनाया जाता है। दिसंबर 2013 को संयुक्त राष्ट्र महासभा ने 68वीं सामान्य सभा की बैठक में पारित संकल्प के द्वारा 5 दिसंबर को विश्व मृदा दिवस मनाने का संकल्प लिया गया था। विश्व मृदा दिवस का उद्देश्य खाद्य सुरक्षा, कृषि के साथ-साथ जलवायु परिवर्तन के शमन, गरीबी उन्मूलन और सतत विकास के लिए मिट्टी के महत्व के बारे में दुनिया भर में जागरूकता बढ़ाना है।

साल 2002 में अंतरराष्ट्रीय मृदा विज्ञान संघ ने 5 दिसंबर को हर साल विश्व मृदा दिवस मनाने की सिफारिश की थी. एफएओ के सम्मेलन ने सर्वसम्मति से जून 2013 में विश्व मृदा दिवस का समर्थन किया और 68 वें संयुक्त राष्ट्र महासभा में इसको आधिकारिक रूप से मनाए जाने का अनुरोध किया. सबसे पहले यह खास दिन संपूर्ण विश्व में 5 दिसंबर 2014 को मनाया गया था. इस दिवस को खाद्य व कृषि संगठन द्वारा मनाया जाता है।

खेत में ज्यादा रासायनिक उर्वरकों का उपयोग करने से मिट्टी की संरचना खराब होने लगती है, जबकि फसल की अच्छी पैदावार के लिए मिट्टी का उपजाऊ और स्वस्थ रहना बहुत जरुरी होता है। खेत में फसल की बुवाई से पहले मिट्टी की जांच जरुर करें। इसके बाद पोषक तत्वों का प्रयोग करें. इससे फसल के उत्पादन की गुणवत्ता बढ़ेगी, साथ ही मिट्टी में उपस्थित पोषक तत्वों के भंडार भी बढ़ेंगे. मिट्टी की उर्वरता शक्ति को बनाए रखने के लिए संतुलित पोषण की मुख्य भूमिका है. पोषक तत्वों जैसे, लौह, जिंक, कापर की उचित मात्रा के प्रयोग से फसल को फायदा होता है।

मिट्टी में उर्वरता शक्ति को बने रखने के लिए लंबी और जल्दी से बढ़ने वाली फसलों के बाद बौनी फसलों को लगाएं, क्योंकि गन्ने के बाद चारा फसलों को उगाने से मिट्टी की उर्वरता घटती है, इसलिए गन्ने के बाद दलहनी फसलों की खेती करें. इससे मिट्टी की उर्वरता शक्ति बढ़ती है। खेत में अधिक पानी वाली फसल करने के बाद कम पानी वाली फसलों को लगाएं. जैसे, धान के बाद मटर, मसूर, सरसों और चना आदि। कार्यक्रम में राजीव रंजन, कृषि समन्वयक /राजेश पांडेय, कृषि समन्वयक /बिजेंद्र कुमार, प्रखण्ड तकनीकी प्रबंधक, किसान सलाहकार, हरेंद्र कुमार, नन्हे पडित, दिलीप शर्मा, नागेंद्र पाठक की उपस्थिति थे।

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