लेखक रस्किन बॉन्ड ने अपने जीवन का 90 बसंत पार किया
श्रीनारद मीडिया सेंट्रल डेस्क
लेखक पद्मश्री रस्किन बॉन्ड अपना 90वां जन्मदिन मना रहे हैं। रस्किन बॉन्ड अब तक 500 कहानियां और करीब 6-7 उपन्यास लिख चुके हैं। उनका जन्म उत्तराखंड के हिस स्टेशन मसूरी में हुआ था। मसूरी में पले बढ़े बॉन्ड के उपन्यास और कहानियों पर कई फिल्में भी बन चुकी हैं।
जन्म और शिक्षा
हिमाचल प्रदेश के कसौली में 19 मई 1934 को रस्किन बॉन्ड का जन्म हुआ था। इनके पिता ब्रिटिश रॉयल एयरफोर्स में थे। इन्होंने अपनी शिक्षा शिमला के विशप कॉटन स्कूल से पूरी की। वहीं जब यह चार साल के थे, तो इनके माता-पिता का अलगाव हो गया। जिसके बाद उनकी मां ने एक भारतीय से शादी कर ली और रस्किन अपनी दादी के साथ देहरादून में रहने लगे।
स्कूली शिक्षा पूरी करने के बाद वह लंदन चले गए और वहीं लेखन कार्य शुरू कर दिया। उनके माता-पिता ब्रिटिश थे. बॉन्ड हमेशा से खुद को भारतीय बताते हैं और कई सालों से भारत में रह रहे हैं. इससे पहले बॉन्ड ने कहा था कि वो ना केवल जन्म से बल्कि अपनी पसंद से भी भारतीय हैं. बॉन्ड ने बताया कि उन्होंने आजादी से पहले और बाद में भारत में हुए बदलावों को देखा और स्वीकार किया है.
बता दें कि महज 17 साल की उम्र में उन्होंने अपना पहला उपन्यास ‘ रूम ऑन द रूफ‘ लिखा। इस उपन्यास के लिए उनको प्रतिष्ठित जॉन लेवेनिन राइस अवॉर्ड से सम्मानित किया गया। लेकिन जब उनका लंदन में मन नहीं लगा तो वह वापस भारत आ गए और यहीं पर बस गए।
रस्किन बॉन्ड की रचनाएं
रस्किन ने अब तक 500 से अधिक उपन्यास, कहानियां, संस्मरण और कविताएं लिखी हैं। इनमें से अधिकतर रचनाएं बच्चों पर आधारित हैं। बच्चों के लिए लिखी गई कहानियों में उन्होंने एक नन्हा दोस्त, पतंगवाला, अंधेरे में एक चेहरा, बुद्धिमान काजी, चालीस भाईयों की पहाड़ी, अल्लाह की बुद्धिमानी और झुकी हुई कमरवाला भिखारी आदि काफी फेमस हैं। इन्हीं सब कहानियों के कारण वह बच्चों के बीच ‘कहानियां सुनाने वाले दादाजी’ के नाम से फेमस हैं।
बाल साहित्य में रस्किन के योगदान को देखते हुए साल 1999 में उन्हें पद्मश्री से सम्मानित किया गया था। इसके बाद साल 2014 में उनको पद्म विभूषण से सम्मानित किया गया। साल 1993 में उन्हें ‘अवर ट्रीज स्टिल ग्रोज इन देहरा’ के लिए उन्हें प्रतिष्ठित साहित्य अकादमी पुरस्कार से नवाजा गया। उन्होंने 500 से अधिक लघु कथाएं, निबंध और उपन्यास लिखे हैं. इनमें बच्चों के लिए 69 पुस्तकें शामिल हैं. पद्म श्री और पद्म भूषण के अलावा उन्हें जॉन लेवेलिन राइज पुरस्कार और साहित्य अकादमी पुरस्कार सहित कई प्रतिष्ठित पुरस्कारों से सम्मानित किया गया है.
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