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कवि सम्मेलन सह मुशायरे में रचनाकारों ने बांधा समां, लूटीं वाहवाहियां

कवि सम्मेलन सह मुशायरे में रचनाकारों ने बांधा समां, लूटीं वाहवाहियां

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श्रीनारद मीडिया, सीवान (बिहार):


सीवान जिला के बड़हरिया प्रखंड के इजमाली-गौसीहाता में आयोजित अखिल भारतीय कवि सम्मेलन सह मुशायरा में हास्य, वीर और श्रृंगार रस की रचनाओं से पंडाल गूंजता रहा। गुरुवार की रात में आयोजित कवि सम्मेलन सह मुशायरे की अध्यक्षता शायर कौसर हसनपुरवी ने की। इसका विधिवत उद्घाटन बतौर मुख्य अतिथि समाजसेवी डॉ अशरफ अली, राजद नेता मुजफ्फर इमाम, मो एहतेशामुल हक सिद्दीकी उर्फ मिनी,पूर्व जिला पार्षद जुल्फेकार अहमद उर्फ मीठू बाबू, कनवेनर सरपंच नूरुल होदा,इमाम हसन आदि ने शमा रोशन ने किया।

 

वहीं इसका बखूबी संचालन हास्य-व्यंग्य के सुप्रसिद्ध शायर सुनील कुमार तंग ने किया। मुशायरे का आगाज उत्तरप्रदेश के आजमगढ़ से आये मशहूर शायर मयकश आजमी ने नाते पाक से किया। मंच संभालते ही जाने माने शायर तंग इनायतपुरी ने कौमी एकता और आपसी भाईचारे पर कलाम पढ़कर खूब तालियां बटोरी। वहीं डॉ जकी हाशिमी ने अपना ये कलाम- ‘मुझको तरह-तरह से वही लूटता रहा,मैं देवता समझकर जिसे पूजता रहा’ सुनाकर वाहवाही लूटी।

उसके बाद शायर डॉ तारिक अनवर की यह-‘ देख लेना इश्क में एक ऐसा दिन भी आयेगा, दिल को हम समझायेंगे दिल हमें समझायेगा।’ वहीं हिन्दी के सुप्रसिद्ध कवि भूषण त्यागी ने अपनी रचना कुछ यूं पेश की-‘ दर्द होता रहा छटपटाते रहे, आईने से सदा चोट खाते रहे।वो वतन बेचकर मुस्कुराते, हम वतन के लिए सर कटाते रहे।’ इसको श्रोताओं से खूब सराहा। मशहूर शायर मयकश आजमी ने अपना कलाम यूं पेश किया-‘ इश्क़ में जब भी सनहा होगा,दिल ही टूटेगा और क्या होगा,अपने घर में बड़ा तो मैं ही हूं हर कोई मुझसे ही खफा होगा।’ यह कलाम भी वाहवाही का सबब बना।

वहीं मजाह के मशहूर शायर रहमतुल्लाह अचानक का इस कलाम से पूरा पंडाल ठहाके से गूंज उठा-‘ चलना-फिरना दूभर है, अब मैं हूं मेरा बिस्तर है। मौत का साया सर पर है, क्योंकि मुझको शुगर है।’ बस्ती (यूपी) से आये शायर दीदार बस्तवी ने अपना कलाम कुछ यूं पेश किया-‘ तुम्हारे इश्क में जान दे दूं क्या, मैं अपने नामोनिशान दे दूं क्या?’ मजाहिया शायर परवेज अशरफ का यह कलाम-‘ कितना हूं बदनसीब की मैं मौलवी नहीं, हूं इसलिए गरीब की मैं मौलवी नहीं।

‘ शायर डॉ समी बहुआरवी ने कश्मीर के हवाले से ये कलाम पेश किया-‘जन्नत की तस्वीर न देंगे, भारत की जागीर न देंगे, जान बला से जायेअपनी,दुश्मन को कश्मीर न देंगे।’ इस मौके पर शायर सुनील कुमार तंग, चांदनी शबनम, दुर्गेश दुर्लभ, कौसर हसनपुरवी आदि के कलाम भी सराहे गये।

इस अवसर पर मुख्य अतिथि डॉ अशरफ अली, थानाध्यक्ष रुपेश वर्मा, आयोजक सरपंच नूरुल होदा,इमाम हसन,शरीफुल हक, सरवर खान, हबीबुल हसन,अनवारुल हक,असलम हुसैन,चंद्रशेखर तिवारी, डॉ मुकेश कुमार, सेराजुल हक, नेसार खान, खुर्शीद अनवर,सद्दाम हुसैन, मो सलाउद्दीन, फरहान,रेहान सिद्दीकी, टुनटुन यादव सहित अन्य गणमान्य मौजूद थे।

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