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कल चमन था, आज बेसहरा हुआ,सुंदरबन में देखते ही देखते क्या हुआ... - श्रीनारद मीडिया

कल चमन था, आज बेसहरा हुआ,सुंदरबन में देखते ही देखते क्या हुआ…

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श्रीनारद मीडिया सेंट्रल डेस्क

पश्चिम बंगाल में 26 मई को आए सुपर साइक्लोन यास के कमोबेश चार दिन गुजर चुके हैं. चक्रवात के गुजरने के बाद जिंदगी भी पटरी पर तो लौट रही है. लेकिन, आज भी हर तरफ तबाही का मंजर दिख रहा है. पश्चिम बंगाल के सुंदरबन का इलाका भी चक्रवात की तबाही से अछूता नहीं है. चक्रवात यास के पहले अम्फान की डरावनी यादें लोगों के जेहन में ताजा थी. अचानक यास चक्रवात आया और लोगों को नई परेशानी में डालकर गुजर गया.

गांवों और तालाबों का फर्क मिटा गया यास…

दक्षिण 24 परगना के 19 ब्लॉक के सैकड़ों गांव तालाब में तब्दील हो गए. सागर, गोसबा, पाथेर प्रतिमा, नामखाना, घोरामारा और मौसुनी जैसे इलाकों का सबसे बुरा हाल है. यहां के लोगों को पीने के पानी के लिए संघर्ष करना पड़ रहा है. जरूरत के लिहाज से राहत सामग्री कम पड़ती दिख रही है. घर पानी में डूबे हैं. अनाज पानी में बह गए और काम-धंधा भी बंद. यास चक्रवात के कारण सुंदरबन के अधिकांश इलाकों में यही नजारा देखने को मिलता है. बारिश के बाद जमे पानी में मच्छर हैं, जो लोगों को चक्रवात की भयावह यादें दिलाते रहते हैं. सागरद्वीप के मरीजों को इलाज के लिए काकद्वीप अस्पताल जाना हो तो उन्हें घुटने भर पानी से गुजरना पड़ता है.

यास के गुजरने के बाद सुंदरबन के गांव

सुंदरबन के अधिकांश इलाके पानी में डूबे

पश्चिम बंगाल में आए यास चक्रवात ने दक्षिण 24 परगना के ऐतिहासिक फ्रेजर साहब के बंगले को भी तबाह कर दिया. पिछले साल अम्फान के कारण बंगले को काफी नुकसान पहुंचाया था. इस बार यास चक्रवात ने रही सही कसर पूरी कर दी. ब्रिटिश राज में बंगाल के लेफ्टिनेंट गवर्नर एंड्रयू फ्रेजर ने साल 1903 के आसपास बंगले का निर्माण कराया था. आज यास चक्रवात ने इसे तबाह कर डाला है. यह बंगला धराशायी हो चुका है. कुछ हिस्से बंगला होने की गवाही दे रहे हैं. सुंदरबन आने वाले सैलानियों के लिए फ्रेजर साहब का बंगला फेमस डेस्टिनेशन था. आज यहां सिर्फ मलबा पड़ा है. सुंदरबन के अधिकांश इलाके चक्रवात से आए बाढ़ के पानी में डूबे हैं. नामखाना फ्रेजरगंज पंचायत के लक्ष्मीपुर, अमरावती, हाटी कार्नर और दास कार्नर खारे पानी से भरे हैं.

फ्रेजर साहब का बंगला

गुजरते वक्त के साथ भी जख्म रहेंगे ताजा…

पिछले दिनों पश्चिम बंगाल और ओड़िशा के दौरे पर आए पीएम नरेंद्र मोदी ने यास चक्रवात के बाद पैदा हुए हालात का जायजा लिया. पीएम मोदी ने पश्चिम बंगाल, ओड़िशा और झारखंड के लिए एक हजार करोड़ के मुआवजे का ऐलान किया. पश्चिम बंगाल की सीएम ममता बनर्जी भी लगातार इलाकों का दौरा करके चक्रवात प्रभावितों को राहत पहुंचा रही हैं. कहते हैं वक्त गुजरने के साथ हर जख्म भर जाते हैं और हालात भी ठीक हो जाते हैं. लेकिन, अम्फान के बाद यास चक्रवात ने जो तबाही का मंजर छोड़ा है, शायद उसकी यादें लोगों को हमेशा तकलीफ देती रहेंगी.

दुनियाभर में पश्चिम बंगाल का सुंदरबन रिजर्व फेमस है. यहां के रॉयल बंगाल टाइगर की बात ही सबसे निराली है. इसी बीच रविवार को सुंदरबन रिजर्व के एक रॉयल बंगाल टाइगर की मौत से सनसनी फैल गई है. बताया जा रहा है कि रिजर्व से भटककर रॉयल बंगाल टाइगर बाहर निकल गया था. बाघ की गंभीर हालत देखकर उसे इलाज के लिए सजनेखली ले जाया जा रहा था. लेकिन, काफी कोशिशों के बाद भी उसकी जान नहीं बच सकी.

सुंदरबन रिजर्व में (2019-20 के मुताबिक) रॉयल बंगाल बाघों की संख्या 96 है.

दक्षिण 24 परगना के डीएफओ जोंस जस्टीन ने बताया कि बाघ की मौत की वजह चक्रवात यास और उससे पैदा हुए हालात नहीं हैं. बाघ की मौत अधिक उम्र के कारण हो सकती है. डीएफओ मुताबिक वो बाघ का इलाज करा रहे थे. उसे स्लाइन लगाया गया था. उसकी ठीक से इलाज की कोशिश की जा रही थी. लेकिन, उसकी जान बचाने में कामयाबी नहीं मिली. उनका कहना है कि बाघ की उम्र ज्यादा हो गई थी. वो काफी कमजोर हो गया था. बाघ के शव को पोस्टमार्टम के लिए भेजा गया है. पोस्टमार्टम रिपोर्ट के बाद बाघ की मौत की असली वजह पता चल सकेगी.

मुख्य वन्यजीव वार्डन वीके यादव ने कहा है कि बाघ की उम्र करीब 11-12 साल है. वो शुक्रवार को हरिखाली शिविर के पास मिला था. बाघ चलते हुए लड़खड़ा रहा था. वनकर्मी उस पर करीब से निगाह रख रहे थे. रविवार सुबह बाघ तालाब के किनारे लेटा हुआ मिला. कर्मियों ने उसे मुर्गा खिलाने की कोशिश की. लेकिन, उसने नहीं खाया. वीके यादव ने बताया बाघ बहुत कमजोर था. उसे इलाज के लिए सजनेखाली वन शिविर ले जाया जा रहा था. लेकिन, रास्ते में ही उसकी मौत हो गई. उनके मुताबिक लगता है कि बाघ की मौत अधिक उम्र और कमजोरी के कारण हुई है.

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