तुम मुझ पर भरोसा करो, मैं तुमसे दगा करूंगा-चीन.
नया पैंतरा, नई साजिश नीति पर कायम है चीन.
श्रीनारद मीडिया सेंट्रल डेस्क
जुलाई का महीना था और 1994 का साल जब बर्मा पहुंचे नेताजी ने अपना प्रसिद्ध नारा “तुम मुझे खून दो, मैं तुम्हें आजादी दूंगा दिया” दिया था। लेकिन भारत का पड़ोसी मुल्क चीन तुम मुझ पर भरोसा करो मैं तुमसे दगा करूंगा की नीति पर अविरल, अविराम और अनवरत चलता जा रहा है। चीन जैसे देश का दुनिया में कोई देश ऐतबार नहीं कर सकता। भारत को तो उसने पीठ में कई बार खंजर घोपा ही है। लेकिन दुनिया भर में भी कोई ऐसा सगा नहीं चीन ने जिसे ठगा नहीं। चीन ताइवान पर जबरन कब्जे की फिराक में रहता है, नेपाल से दोस्ती की आड़ में उसके एक इलाके पर जमाया कब्जा। हांगकांग की आजादी का अतिक्रमण, दक्षिण चीन सागर में वियतनाम, ब्रुनेई, फिलीपींस, मलेशिया से टकराव।
सेनकाकू द्वीप को लेकर जापान से लड़ रहा। मंगोलिया में कोयला भंडार पर चीन की नजर। ये सबूत है कि चीन कितना शातिर पड़ोसी और धोखेबाज देश है। दुनिया में कोई ऐसा देश नहीं है जिसने चीन से दोस्ती करने की कोशिश की और बदले में उसी चीन की मक्कारी और धोखेबाजी देखने को न मिली हो। जब दोस्ती की पीठ पर दगाबाजी का खंजर चलाया जाता है तो उसे 1962 का भारत चीन युद्ध कहते हैं। तब दोस्ती का भरोसा हिंदुस्तान का था, विश्वासघात का खंजर चीन का। आज यह कहा जाता है कि 62 का नहीं बल्कि 2021 का हिंदुस्तान है तो इस बात में दम है। हिंदुस्तान ने चीन की हर हरकत का बखूबी जवाब दिया है। लेकिन फिर भी हर बार मुंह की खआने वाला चीन अपनी हरकतों से बाज नहीं आ रहा है।
हर बार वो एक तरफ दोस्ती का हाथ बढ़ाने की कोशिश करता है तो दूसरी तरफ पीठ में खंजर घोपने की फिराक में लगा रहता है। वर्तमान दौर में चीन वुल्फ वॉरियर डिप्लोमेसी के जरिये अपना साम्राज्यवादी विस्तार चाहता है जिससे दुनिया सतर्क हो चुकी है। हिमालय की छांव में दुनिया की सबसे खूबसूरत पैंगोंग झील पर चीन की नजर है। कल-कल झल-झल करता पेगैंग लेक का पानी इतना साफ है कि नंगी आंखों से कई मीटर तक पानी के भीतर भी साफ दिखाई दे जाए। लेकिन न दिखाई देने वाली लाइन ऑफ एक्चुअल कंट्रोल की आड़ में ड्रैगन ने ऐसे वक्त पर आघात किया जब कोरोना का कहर चीन से चला और देखते ही देखते पूरी दुनिया को अपनी चपेट में ले लिया।
जिस वक्त दुनिया महामारी से लड़ने में व्यस्त थी चीन अपनी खतरनाक चालों को कामयाब करने में जुट गया। ये उसकी खतरनाक साजिश का हिस्सा ही थी कि जब 5 मई को भारत लॉकडाउन में लोगों को कोरोना से बचाने में जुटा था उसने चोरों की तरह पूर्वी लद्दाख में घुसपैठ की हिमाकत कर दी। उसके बाद भारत ने लड़ते हुए उसे मुंहतोड़ जवाब दिया।
पावर ग्रिड, वैक्सीन निर्माता कंपनी और पोर्ट को चीनी हैकरों ने बनाया निशाना
अमेरिका की एक कंपनी ने अपने हालिया अध्ययन में दावा किया है कि भारत और चीन के बीच सीमा पर जारी तनाव के दौरान चीन सरकार से जुड़े हैकरों के एक समूह ने ‘‘मालवेयर’’ के जरिए भारत के पावरग्रिड सिस्टम को निशाना बनाया। आशंका है कि पिछले साल मुंबई में बड़े स्तर पर बिजली आपूर्ति ठप होने के पीछे शायद यही मुख्य कारण था। ऐसी ही खबर सामने आई जब साइबर इंटेलिजेंस फर्म साइफर्मा के हवाले से समाचार एजेंसी रॉयटर्स ने एक खबर की।
कितना बड़ा है चाइनीज हैकर नेटवर्क
एक अनुमान के मुताबिक चीन की हैकर कम्युनिटी में तीन लाख से भी ज्यादा लोग काम करते हैं। इनमें से 93 फीसदी चीनी सेना यानी चाइनीज रिपब्लिकन आर्मी के लिए काम करते हैं। इनकी पूरी फंडिंग चीनी सरकार करती है। ये हैकर लगातार अमेरिका, जापान, साउथ कोरिया, भारत और साउथ ईस्ट एशिया के देशों में हैकिंग करते हैं। चीन की इंटेलिजेंस ब्रांच भी है। इसे कोड 61398 के नाम से भी जाना जाता है। यही वो कोड है जो दुश्मन देशों पर साइबर हमले करता है।
चीनी जमीन पर अतिक्रमण के खतरे को देखते हुए उठाया कदम
भारत के साथ लगी सीमा पर चीन की सैन्य तैनाती को लेकर विदेश मंत्री एस जयशंकर के कतर आर्थिक मंच पर दिये गये बयान के बारे में पूछे जाने पर चीन के विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता झाओ लिजियान ने कहा कि सीमा मुद्दे को द्विपक्षीय संबंधों के साथ नहीं जोड़ा जाना चाहिए। जयशंकर ने कहा था कि भारत के साथ विवादित सीमा पर चीन की सैन्य तैनाती और बीजिंग सैनिकों को कम करने के अपने वादे को पूरा करेगा या नहीं, इस बारे में अनिश्चितता दोनों पड़ोसियों के संबंधों के लिए चुनौती बनी हुई हैं। लिजियान ने कहा, ‘‘हमें सीमा मुद्दे को शांतिपूर्ण तरीके से सुलझाना चाहिए और हमें नहीं लगता कि सीमा मुद्दे को हमारे द्विपक्षीय संबंधों से जोड़ा जाना चाहिए।
सीमा के पश्चिमी सेक्टर में चीन की सैन्य तैनाती सामान्य रक्षात्मक व्यवस्था है। यह संबंधित देश द्वारा चीन के क्षेत्र के खिलाफ अतिक्रमण या खतरे को रोकने के लिए है।’’ चीन के विदेश मंत्रालय ने बाद में मंत्रालय की वेबसाइट पर अपने जवाब में लिखा, ‘‘चीन हमेशा से बातचीत के माध्यम से सीमा के मुद्दे के शांतिपूर्ण हल के लिए तैयार है और सीमा के विषय को द्विपक्षीय संबंधों से जोड़ने के विरुद्ध है।’’ जयशंकर ने कहा था कि पूर्वी लद्दाख में सीमा विवाद से संबंधित व्यापक विषय यह है कि क्या भारत और चीन आपसी संवेदनशीलता और सम्मान पर आधारित संबंध बना सकते हैं और क्या बीजिंग सीमावर्ती क्षेत्र में दोनों पक्षों द्वारा किसी बड़े सशस्त्र बल को तैनात नहीं करने की लिखित प्रतिबद्धता का पालन करेगा।
बहरहाल, एक खास जानवर की दुम सीधी हो सकती है लेकिन चीन की फितरत नहीं। वो समझौते तोड़ देता है। वो बातचीत करता है और उसको उसी वक्त भुला देता है। उसकी कायरता के कारण हमारे बीस जांबाज जवानों को शहादत देनी पड़ती है। गलवान घाटी से लेकर पैंगोंग झील तक मुंह की खाने के बाद चीन अब साईबर वॉरफेयर और धोखे के सहारे अपनी कारगुजारियों में लगा है। भारतीय सेना को भी इस बात का इल्म अच्छी तरह से है कि चीन की कथनी और करनी में फर्क हमेशा से रहा है और चीफ ऑफ डिफेंस स्टाफ जनरल बिपिन रावत ने भी कहा है कि लाइन ऑफ एक्चुअल कंट्रोल पर गलवान घाटी और अन्य जगह हुई भिड़ंत के बाद चीनी सेना को ये अहसास हुआ है कि उन्हें बेहतर तैयारी और ट्रेनिंग की ज़रूरत है।
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