युवक की पीट-पीट कर ली जान
लॉकडाउन में छूटी थी नौकरी तो बन गये साइबर अपराधी
श्रीनारद मीडिया सेंट्रल डेस्क
बिहार में गया रेलखंड के नीमा हाल्ट से पश्चिम स्थित शिवमंदिर के सामने पोल संख्या 22/10 व 22/12 के डाउन लाइन से करीब चार फीट की दूरी पर शुक्रवार की सुबह एक 35 वर्षीय युवक का शव जीआरपी ने बरामद किया है.
हत्या की आशंका
मृतक की पहचान धनरूआ के नीमा निवासी लालधर सिंह के पुत्र सुधीर कुमार के रूप में की गयी है. सुधीर के परिजनों ने पीट-पीट कर कहीं अन्यत्र हत्या कर शव को यहां लाकर फेंक देने की आशंका जतायी है. इस संबंध में मृतक के सहोदर रिंकु कुमार ने हत्या की आशंका जता अज्ञात के खिलाफ प्राथमिकी दर्ज करायी है. जीआरपी ने शव को पोस्टमार्टम के लिए पीएमसीएच भेज दिया.
सुधीर नामजद आरोपित था
बताया जाता है कि बीते 26 अप्रैल को नीमा गांव के दिनेश शर्मा की हत्या मसौढ़ी गांधी मैदान के पास गोली मारकर कर दी गयी थी. इस मामले में सुधीर नामजद आरोपित था और उस समय से फरार फरार था. इधर जीआरपी थानाध्यक्ष रामाधार शर्मा ने बताया कि प्रथमदृष्टया मामला ट्रेन से कटकर हुई मौत प्रतीत हो रहा है.
अज्ञात के खिलाफ मामला दर्ज
थानाध्यक्ष ने बताया कि फिलहाल मृतक के परिजनों ने पीट-पीट कर कहीं अन्यत्र हत्या कर शव को रेलवे ट्रैक के पास रख पुलिस को भ्रमित करने का प्रयास का आरोप लगा अज्ञात के खिलाफ मामला दर्ज कराया है. उन्होंने बताया कि पुलिस मामले की जांच कर रही है.
26 अप्रैल से ही गांव में नहीं रह रहा था सुधीर
मृतक सुधीर कुमार चर्चित चाचा-भतीजा हत्या मामले में नामजद था. नीमा निवासी दिनेश शर्मा की हत्या मामले में 26 अप्रैल को आरोपित होने के बाद से अपने गांव नीमा में नहीं रह रहा था. शुक्रवार की सुबह नीमा गांव के पास ही दिनेश शर्मा हत्याकांड के 32 वें दिन उसका शव बरामद हुआ. हालांकि सुधीर के आरोपित होने व उसका घर से फरार रहने की स्थिति में मसौढ़ी पुलिस बीते एक पखवारा पूर्व सुधीर के ऊपर दबाव बनाने की नीयत से उसके भाई रिंकु कुमार को हिरासत में लेकर एक सप्ताह तक अपने पास ही रखा.
हत्या मामले में नामजद था मृतक
बताया जाता है कि इस दौरान पुलिस उससे कड़ाई से पूछताछ की लेकिन रिंकु से जब कोई खास जानकारी नहीं मिल पायी तो बीते सप्ताह पुलिस उसे छोड़ दिया. इसकी जानकारी रिंकु शुक्रवार को जीआरपी में बातचीत के दौरान दी. उसने यह भी बताया कि सुधीर जब से घर से फरार था उस समय से वह गौरीचक थाना के बाजितपुर स्थित अपने एक रिश्तेदार के यहां छिपकर रह रहा था. बीते गुरुवार को वहां से किसी ने विश्वास में बुलाया और शुक्रवार की सुबह उसकी शव नीमा में मिला.
पटना के शास्त्रीनगर थाना पुलिस द्वारा गिरफ्तार किया गया दरभंगा निवासी योगेश कुमार व विजय बिक्रम की लॉकडाउन के दौरान नौकरी छूट गयी थी. जिसके कारण ये दोनों आर्थिक तंगी में आ गये थे और घर खर्च तक चलाना मुश्किल हो गया था. इसी दौरान दोनों नालंदा के साइबर अपराधी सोनू के संपर्क में आये और फिर साइबर अपराधी बन गये.
प्राइवेट कंपनी में नौकरी करता था
विजय बिक्रम एक अच्छे परिवार से संबंधित है और यह अपने पूरे परिवार के साथ इंद्रपुरी रोड नंबर 10 में कई साल से रह रहा है. उसके पिता आर्मी से रिटायर जवान हैं. इसने खुद वर्ष 2013 में छत्तीसगढ़ के विलासपुर से बीसीए की पढ़ाई की है और एक प्राइवेट कंपनी में नौकरी करता था. लेकिन लॉकडाउन के दौरान उसकी नौकरी चली गयी.
लॉकडाउन में काम छूट गया
योगेश भी कम्प्यूटर इंजीनियर है और बीएससी आइटी की पढ़ाई इसने पंजाब से की थी. यह भी एक प्राइवेट कंपनी में नौकरी करता था, लेकिन लॉकडाउन में काम छूट गया. इसके बाद योगेश को भी आर्थिक तंगी हो गयी. योगेश भी विजय बिक्रम की तरह ही साइबर अपराधियों के ग्रुप में शामिल हो गया.
गिरोह का सरगना फरार
इस गिरोह का सरगना सोनू है, जिसने इन दोनों को साइबर अपराध करने की ट्रेनिंग दी. सूत्रों का कहना है कि सोनू ने गर्दनीबाग इलाके में एक कमरा किराये पर ले रखा था, लेकिन इन दोनों के पकड़े जाने के बाद फरार हो गया. सोनू अब तक कई बेरोजगार युवकों को साइबर अपराधी बना चुका है.
पुलिस को 20 से अधिक खाते मिले
दोनों के पास से पुलिस को 20 से अधिक खाते मिले हैं. सभी खाते दूसरे-दूसरे लोगों के नाम पर हैं. एक खाता योगेश की पत्नी मालती देवी के नाम पर है. जिस पर चार दिन के अंदर में 5.50 लाख रुपये आये थे. जिसमें से अधिकांश रुपये निकाले जा चुके हैं, लेकिन करीब एक लाख 48 हजार रुपया खाता में बचा हुआ है. पुलिस ने इस खाते को फ्रिज करा दिया है. सूत्रों के अनुसार उक्त रकम पटियाला व अन्य जगहों से ठगी कर खाते में डाले गये थे.