आपका माधुर्य आपकी याद दिलाता रहेगा डॉक्टर साहब!
सीवान के मशहूर हड्डी रोग विशेषज्ञ और सदर अस्पताल के पूर्व अधीक्षक डॉक्टर एम के आलम का सरल, सहज, संतुलित व्यक्तित्व सदैव हमारी यादों में रहेगा।
डॉक्टर एम के आलम साहब को अश्रुपूरित श्रद्धांजलि
✍️गणेश दत्त पाठक
श्रीनारद मीडिया सेंट्रल डेस्क
गुरुवार सुबह डॉक्टर एम के आलम के अकस्मात निधन की सूचना से मन व्यथित हो गया। उनका माधुर्यपूर्ण व्यवहार याद आने लगा। मरीजों और तामीरदारों की दुश्वारियों का वे सहज अंदाजा लगाने में दक्ष थे। सिवान के चिकित्सा जगत में उनके सुमधुर व्यवहार के कारण उनकी विशिष्ट प्रतिष्ठा थी। आपका विनम्र और माधुर्यपूर्ण व्यवहार आपकी याद दिलाता रहेगा डॉक्टर साहब!
गजब सहजता से समझ जाते थे मरीज की बात
2014 में जब मेरी मम्मी की कमर की हड्डी टूटी थी तो इलाज के क्रम में डॉक्टर आलम से मेरा संपर्क हुआ। मेरी मम्मी भोजपुरी बोलती थी। उनकी बातों को डॉक्टर साहब गजब सहजता से समझ जाते थे। एक बार डॉक्टर साहब जब दवा लिख रहे थे, तब दवा की संख्या थोड़ी ज्यादा हो गई थी। मम्मी के चेहरे पर शिकन आ गई थी। उन्हें लग रहा था इतनी दवाएं कहीं नुकसान न कर दे। डॉक्टर साहब यह बात मां के चेहरे को देख समझ चुके थे। डॉक्टर साहब बड़ी विनम्रता से समझाने लगे। उनका यह स्वरूप डॉक्टर्स में उन्हें अलग पायदान पर ले जाता है और उनके संवेदनशील स्वरूप को प्रकट करता है।
उनकी विनम्रता थी बेमिसाल
इलाज के दौरान बातचीत के दौरान वे मुझे प्रोफेसर साहब कहा करते थे। इस पर मैं बोलता था कि डॉक्टर साहब मैं पत्रकार हूं, उस समय मैं राजस्थान पत्रिका समाचार पत्र में कार्यरत था। तो डॉक्टर साहब बोला करते थे आपसे बातचीत में आपकी विद्वता झलकती है इसलिए मैं आपको प्रोफेसर कहता हूं। डॉक्टर साहब की ये साफगोई उनके व्यक्तित्व की निर्मलता की सूचक थी। उनका व्यवहार इतना सुमधुर था कि हर व्यक्ति को अपना मुरीद बना लेता था।
रहते थे तनावमुक्त, सलाह से देते थे मदद
सदर अस्पताल के उपाधीक्षक के तौर पर हमेशा उनके पास कार्यबोझ रहता था लेकिन कभी वे तनाव में दिखाई नहीं पड़ते थे। यह उनके संतुलित व्यक्तित्व का परिचायक तथ्य भी था। आप किसी समस्या में है तो आसान सलाह मुहैया कराने में वे पीछे नहीं रहते थे। मेरे पिता जी जब लकवाग्रस्त हो गए थे, हाथ काम नहीं कर रहा था, हस्ताक्षर नहीं कर पा रहे थे तो उन्होंने अपना प्रक्रिया के स्तर पर सुझाव दिया, जिससे हमारे परिवार को भारी मदद मिली। उनका मिलनसार और मददगार स्वरूप तो एक अमिट यादगार ही बन कर रहेगा।
खुदा आपको जन्नत में आला मकाम अता करें डॉक्टर साहब! हमारी यादों में आप सदैव रहेंगे!
अलविदा डॉक्टर आलम!??