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अरवल में युवा संवाद का हुआ आयोजन - श्रीनारद मीडिया

अरवल में युवा संवाद का हुआ आयोजन

अरवल में युवा संवाद का हुआ आयोजन

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श्रीनारद मीडिया सेंट्रल डेस्क

बिहार के अरवल में  युवा संवाद ! LetsInspireBihar अभियान के अंतर्गत युवा संवाद हेतु महर्षिच्यवन की भूमि अरवल में उपस्थित था । इस संवाद के पूर्व 22 जिलों में स्वैच्छिक रूप से जुड़े युवाओं के साथ प्रथम भौतिक संवाद के सत्र पूर्ण हो चुके थे और मन अत्यंत आशान्वित था चूंकि 23वें युवा संवाद के पश्चात जून माह में किसी अन्य जिले में भीषण गर्मी के कारण कोई कार्यक्रम प्रस्तावित नहीं था ।

संवाद के पूर्व गर्मी के कारण उपस्थिति को लेकर अरवल में भी आयोजक अत्यंत सशंकित थे परंतु चूंकि कार्यक्रम की तिथि पूर्व से ही निर्धारित थी औरे मेरे लिए विशेष समय पुनः निर्धारित करना अत्यंत कठिन होता है, इसीलिए मैंने तब आयोजकों को आश्वस्त किया था कि वे चिंतित नहीं होकर अच्छे से तैयारी करें चूंकि हमारा लक्ष्य अत्यंत सकारात्मक और बृहत्तर है और ऐसे में यदि सर्वशक्तिमान की इच्छा होगी तो स्थितियां स्वतः अनुकूल हो जाएंगी । दैवीय कृपा से संभवतः ऐसा ही कुछ हुआ और रविवार को प्रातः काल जब पाटलिपुत्र से अरवल की ओर प्रस्थान कर रहा था तब रात्रि में अचानक हुई जलवृष्टि के कारण मौसम अत्यंत सुहावना हो चुका था ।

परिवर्तित परिस्थितियों में #यात्री_मन महर्षि च्यवन का स्मरण कर उनसे अनुरोध कर रहा था कि “हे महर्षि, वृद्धावस्था से युवावस्था में परिवर्तन की जो क्षमता आपमें विद्यमान थी, उसकी आवश्यकता आज बिहार की भूमि को है चूंकि पूर्व की दृष्टि जहाँ अत्यंत सकारात्मक थी, वहीं आधुनिक काल में दृष्टि लघुवादों से ग्रसित होती जा रही है । हमारे पूर्वजों की दृष्टि तो ऐसी थी कि जब न विकसित मार्ग थे, न उन्नत प्रौद्योगिकी और न उचित संचार के माध्यम, तब भी बृहत्तर चिंतन के साथ स्थापित दृष्टि के कारण हमारे पूर्वज जाति संप्रदाय के बंधनों से परे सोचने की क्षमता रखते थे और व्यक्ति को व्यक्ति से जोड़कर अखंड भारत के उस साम्राज्य को गढ़ना जानते थे जिसकी सीमाएं पश्चिम में उपगणस्थान (अफगानिस्तान) के पार, पूर्व में ब्रह्मदेश की सीमाओं तक, उत्तर में हिमालय के पार तक तथा दक्षिण में सागर तक विस्तृत थीं ।

जातियां तब भी थीं परंतु जातिवाद आज की भांति हावी नहीं था अन्यथा नंद वंश जो समाज के सबसे निम्न वर्ग से आता था, भला शासक के रूप में सभी वर्गों द्वारा स्वीकृत कैसे हो जाता । तब मगध में केवल सामर्थ्य को ही कुशल शासकों हेतु उपयुक्त लक्षणों के रूप में स्वीकृति प्राप्त हुई थी । ऐसे चिंतन के कारण ही मगध का सबसे शक्तिशाली महाजनपद के रूप में उदय हुआ जिसने कालांतर में साम्राज्य का रूप ग्रहण कर लिया । आचार्य चाणक्य को भी जब एक बालक में राष्ट्र निर्माण की क्षमता दिखी थी तो उन्होंने उसके वर्ग विशेष पर विचार नहीं किया, केवल क्षमता का सम्मान किया । उत्कृष्ट चिंतन के कारण ही जहाँ राजतंत्र के रूप में मगध का उदय हुआ, वहीं वैशाली में गणतंत्र की स्थापना भी हुई ।

यदि कालांतर में हमारा अपेक्षाकृत विकास नहीं हुआ तो इसका कारण कहीं न कहीं समय के साथ लघुवादों अथवा अतिवादों से ग्रसित होना ही रहा है । परिवर्तन के निमित्त आवश्यकता अपने ही पूर्वजों की दृष्टि से प्रेरित एक ऐसे वैचारिक क्रांति की है जो युवाओं के मध्य प्रसारित हो और जो उन्हें भविष्य निर्माण के निमित्त संगठित रूप में संकल्पित कर सके ।”

अरवल में संबोधन के क्रम में मैंने सभी को समझाया कि भविष्य निर्माण के निमित्त आवश्यकता लघुवादों यथा जातिवाद, संप्रदायवाद आदि संकीर्णताओं से परे उठकर राष्ट्रहित में आंशिक ही सही परंतु कुछ निस्वार्थ सकारात्मक सामाजिक योगदान समर्पित करने की है । आवश्यकता व्यक्ति से व्यक्ति को जोड़कर सशक्त राष्ट्र-निर्माण की है । भारत का उज्ज्वलतम भविष्य तब ही संभव है जब हर बिहारवासी अपने पूर्वजों की दृष्टि को धारण करते हुए वर्तमान में शिक्षा के विकास, समतामूलक समाज के निर्माण तथा उद्यमिता के विकास हेतु योगदान समर्पित करे ।

संवाद के पश्चात अरवल के कुर्था में मगध की विरासत पर आधारित पुस्तक के विमोचन का कार्यक्रम निर्धारित था । कुर्था पहुंचकर मगध के उस प्राचीन दृष्टिकोण का स्मरण कराते हुए मैंने सभी से आह्वान किया कि वांछित भविष्य के निर्माण हेतु अपने ही पूर्वजों की दृष्टि को हमें पुनः धारण कर सकारात्मक योगदान समर्पित करना होगा ।

कुर्था के पश्चात अगला गंतव्य स्थल लारी रहा जहाँ प्राचीन भग्नावशेषों को देखकर मन उस काल की दृष्टि का स्मरण करने लगा और उन पूर्वजो का नमन करने लगा जिन्होंने कभी अखंड भारत के साम्राज्य का नेतृत्व किया था । लारी के पश्चात महानद सोनभद्र पार कर भोजपुर जिले के शोभी डुमरा ग्राम में अपने मित्र राकेश तथा अग्रज राहुल जी से भेंट हुई । पाटलिपुत्र वापस पहुंचकर जब सुसुप्तावस्था में लीन हो रहा था, मन लारी के अवशेषों में ही कहीं खोया सा था और भविष्यात्मक चिंतन कर रहा था । यात्रा गतिमान है ! अगला युवा संवाद 3 जुलाई, 2022 को दरभंगा में प्रस्तावित है ।

अभियान से जुड़ने के लिए इस लिंक का प्रयोग कर सकते हैं –

https://letsinspirebihar.org

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