दिवंगत दिग्गज अभिनेता अमरीश पुरी भारतीय सिनेमा के सबसे महान अभिनेताओं में से एक हैं. उन्होंने ज्यादातर फिल्मों में खलनायक की भूमिका निभाई लेकिन उन्हें प्रशंसकों का भरपूर प्यार मिला. उन्होंने मिस्टर इंडिया से लेकर गदर के अलावा दर्जनों फिल्मों में अपने किरदार से लोगों का दिल जीता. लेकिन यह बात कम ही लोग जानते हैं कि बॉलीवुड के मोगैंबो ने बॉलीवुड में अपना करियर बनाने के लिए सरकारी नौकरी छोड़ दी थी.
छोड़ दी सरकारी नौकरी
लेकिन यह कोई नहीं जानता था कि उनका यह फैसला अभिनेता को पुरी दुनिया में एक लोकप्रिय नाम बना देगा. लेकिन उन्हें कर्मचारी राज्य बीमा निगम में नौकरी मिल गई थी. उन्होंने वहां करीब 21 साल तक क्लर्क के तौर पर काम किया. लेकिन उन्होंने अभिनेता बनने के अपने जुनून को पूरा करना नहीं छोड़ा.
पहले स्क्रीन टेस्ट में हो गये थे रिजेक्ट
अमरीश पुरी 1950 के दशक में बॉलीवुड में अपनी किस्मत आजमाने के लिए मुंबई आए लेकिन असफल रहे. उन्हें अपने पहले स्क्रीन टेस्ट से रिजेक्ट कर दिया गया था. उन्होंने थिएटर में अभिनय के अपने शौक को पूरा करना शुरू किया. वे पृथ्वी थियेटर में सत्यदेव दुबे के लिखे नाटकों में काम करते थे. लंबे संघर्ष के बाद अमरीश की एक्टिंग को पहचान मिली. 40 साल की उम्र में उन्होंने फिल्म इंडस्ट्री में एंट्री की थी.
बेटे को नहीं करने दिया फिल्मों में काम
अमरीश पुरी ने अपने करियर में 450 से अधिक फिल्मों में काम किया. कम ही समय में अपनी बैरिटोन आवाज, खलनायक और मिलिट्री स्टाइल की बॉडी लैंग्वेज के साथ स्क्रीन पर हावी होना शुरू कर दिया. 1971 में फिल्म रेशमा और शेरा में दिखाई देने के बाद अमरीश पुरी सुर्खियों में आए. बाद में उन्होंने डीडीएलजे, नगीना, करण अर्जुन, गदर, इलाका और दामिनी जैसी कई लोकप्रिय फिल्मों में अभिनय किया. लेकिन उन्होंने अपने बेटे राजीव पुरी को फिल्म उद्योग में काम नहीं करने दिया. रिपोर्ट्स के मुताबिक, वह नहीं चाहते थे कि उनका बेटा कई सालों तक स्ट्रगल करे. बीबीसी को दिए एक इंटरव्यू में अमरीश पुरी के बेटे ने खुलासा किया कि उस समय बॉलीवुड के हालात ठीक नहीं थे, इसलिए उनके पिता ने उन्हें वहां नहीं जाने के लिए कहा था. राजीव ने कहा, “फिर मैं मर्चेंट नेवी में शामिल हो गया.”