कर्मचारी भविष्य निधि संगठन (EPFO) में 2.71 करोड़ रुपये की धोखाधड़ी का चौंकाने वाला मामला सामने आया है।इस मामले को लेकर केंद्रीय जांच ब्यूरो (CBI) ने धोखाधड़ी में शामिल EPFO के तीन अधिकारियों के खिलाफ मामला दर्ज करते हुए जांच शुरू कर दी है।आरोपियों ने कोरोना महामारी और लॉकडाउन के दौरान नौकरी जाने के बीच EPFO द्वारा भविष्य निधि फंड से निकासी के नियमों को आसान बनाए जाने के बाद इस धोखाधड़ी को अंजाम दिया था।
EPFO ने भविष्य निधि फंड से निकासी के नियमों में दी थी ढील
बता दें कि कोरोना महामारी और लॉकडाउन के दौरान लाखों लोगों की नौकरी जाने को देखते हुए EPFO ने बेरोजगार हुए लोगों को राहत देने के लिए भविष्य निधि फंड से निकासी के नियमों में ढील दी थी।
इसी का फायदा उठाकर तीनों अधिकारियों ने मार्च 2020 से जून 2021 के बीच प्रवासी कामगारों के आधार कार्ड का इस्तेमाल करते हुए 91 फर्जी दावों का आवेदन किया और खातों से अवैध तरीके से 2,71,45,513 रुपये की निकासी कर ली।
NDTV के अनुसार, CBI सूत्रों ने बताया कि इस पूरे मामले का मास्टरमाइंड कांदिवली क्षेत्रीय कार्यालय में तैनात वरिष्ठ सामाजिक सुरक्षा सहायक चंदन कुमार सिन्हा है। सिन्हा के साथ कोयंबटूर के सहायक भविष्य निधि आयुक्त उत्तम टैगारे और चेन्नई के सहायक भविष्य निधि आयुक्त विजय जरपे को भी आरोपी बनाया गया है।
सूत्रों ने बताया कि आरोपियों का यह घोटाला मुंबई, नासिक, पटना और गोरखपुर सहित पूरे भारत के प्रवासी कामगारों से जुड़ा हुआ है।
EPFO के सतर्कता विभाग को मिली थी घोटाले की गुप्त सूचना
EPFO के सतर्कता विभाग को गत 18 मई को एक अज्ञात व्यक्ति ने घाटाले के संबंध में सूचना दी थी।
इसके बाद विभाग ने एक आंतरिक ऑडिट शुरू किया, जिसमें पता चला कि EPFO से जुड़े अधिकारियों ने विभागीय सॉफ्टवेयर और प्रणाली का दुरुपयोग करते हुए पेंशन फंड कोष से अवैध रूप से 2.71 करोड़ रुपये निकाल लिए।
इसके खुलासे के आधार पर EPFO के सतर्कता विभाग ने 24 अगस्त को CBI में शिकायत दर्ज कराई थी।
आरोपी अधिकारियों ने इस तरह से की धोखाधड़ी
सूत्रों के अनुसार, आरोपी सॉफ्टवेयर और उसकी खामियों को अच्छी तरह से जानते थे और महामारी के दौरान EPFO को धोखा देने के लिए उन्होंने बेरोजगार हुए प्रवासी कामगारों के आधार डाटा का इस्तेमाल किया था।
आरोपियों ने प्रवासी मजदूरों आधार आधार डाटा लेकर बैंक खातों का इस्तेमाल करते हुए फर्जी PF खाते खोल दिए।
इसके बाद उन्होंने प्रवासी मजूदूरों को महामारी में बंद हुई कंपनियों का कर्मचारी बताकर फर्जी दावे के आधार पर रकम निकाल ली।
मुंबई की इस कंपनी के खाते से किया 91 दावों का निपटान
CBI द्वारा दर्ज मामले में अनुसार, आरोपियों ने मुंबई स्थित मेसर्स बी विजय कुमार ज्वैलर्स के PF खातों में लगभग 91 फर्जी दावों का निपटान किया था। यह कंपनी सितंबर 2009 से बंद है और EPF रिकॉर्ड में बंद प्रतिष्ठान के रूप में चिह्नित है।
CBI सूत्रों ने बताया कि EPFO के तीनों आरोपी अधिकारियों को इस बात की जानकारी थी कि पांच लाख रुपये से ज्यादा की निकासी पर दावों को दूसरे सत्यापन के लिए वरिष्ठ अधिकारियों के पास भेजना होता है।
उन्होंने इस समस्या से बचने के लिए दो से साढ़े तीन लाख रुपये के दावे किए और बिना किसी वरिष्ठ अधिकारी की जानकारी के बिना निकासी कर ली। CBI अब इन अधिकारियों से पूछताछ कर अन्य दावों का पता लगा रही है।
चार अन्य बंद कंपनियों के नाम से भी दावों के निपटान का है संदेह
EPFO ने CBI को बताया है कि धोखाधड़ी केवल मेसर्स बी विजय कुमार ज्वैलर्स तक ही सीमित नहीं है, बल्कि उन्हें 800 से अधिक धोखाधड़ी वाले दावों के निपटान और कई करोड़ के नुकसान के साथ कम से कम चार और बंद कंपनियों के खातों में इसी तरह की धोखाधड़ी का संदेह है।
इसी तरह EPFO अधिकारियों ने बैंकों को धोखाधड़ी के दावे प्राप्त करने वाले 800 अलग-अलग बैंक खातों को फ्रीज करने के लिए भी लिखा है।