सुप्रीम कोर्ट ने फिल्म ‘द केरल स्टोरी’ (The Kerala Story) के पश्चिम बंगाल और तमिलनाडु में बैन के मामले में आज सुनवायी करते हुए इन दोनों राज्यों की सरकारों को नोटिस जारी किया है और फिल्म को रिलीज ना करने पर जवाब मांगा है. बुधवार को अगली सुनवायी होनी है. आज हुई इस सुनवायी के बारे में बात करते हुए द केरल स्टोरी के वकील अमित नाइक ने बताया कि सुप्रीम कोर्ट ने साफ कहा कि जब भारत के दूसरे राज्यों में फिल्म चल सकती है, तो पश्चिम बंगाल और तमिलनाडु में क्यों नहीं. क्या ये राज्य भारत के दूसरे राज्यों से विभिन्न है.
तमिलनाडु का बैन से इंकार, पश्चिम बंगाल आईबी रिपोर्ट का दे रही हवाला
अमित नाइक बातचीत को आगे बढ़ाते हुए बताया कि पश्चिम बंगाल सरकार की दलील है कि किसी आईबी रिपोर्ट की वजह से उन्होंने यह फैसला किया है, वह रिपोर्ट क्या है, जब तक वह कोर्ट में रिप्लाई नहीं करेंगे हम उस पर कुछ टिप्पणी नहीं कर पाएंगे. हालांकि तमिलनाडु ने कहा कि हमने फिल्म को बैन नहीं किया है. जब उन्होंने बैन नहीं किया, तो फिर राज्य में फिल्म का एक्सहिबिशन तो होना चाहिए और दर्शकों को आपको सुरक्षा भी देनी चाहिए कि फिल्म वह देख सके. बुधवार की सुनवायी पर हम इन पहलुओं को रखेंगे.
सेंसर में पास होने के पास फिल्म को बैन करना गलत
द केरल स्टोरी के वकील अमित नाइक अपने पक्ष को पुख्ता रखते हुए बताते हैं प्रकाश झा की फिल्म आरक्षण को लेकर भी ऐसे ही बैन की मांग कुछ राज्यों से आयी थी. हमने वो केस लड़ा था और हमारे पक्ष में फैसला भी आया था. एक बार सेंसर बोर्ड ने फिल्म को पास कर दिया, तो किसी को फिल्म को बैन नहीं करना चाहिए. यही कानून है. एक स्पेशल बॉडी ने फिल्म को देखा है, तो आप अब किसी भी कारण देकर उस फिल्म को बैन नहीं कर सकते हैं. हर एक दर्शक का हक बनता है कि वह फिल्म देखें या नहीं देखें. लॉ एंड आर्डर को बनाए रखना राज्य की जिम्मेदारी हैं, उसके नाम पर आप हज़ारों लोगों की मेहनत को नकार नहीं सकते हैं. एक फिल्म को बनने में बहुत मेहनत जाती है.