जुलाई में फिगो ऑटोमेटिक और अक्टूबर में इकोस्पोर्ट फेसलिफ्ट की संभावित लॉन्चिंग को देखते हुए लग रहा था कि फोर्ड मैदान में बनी रहेगी, लेकिन ऐसा नहीं हो सका।
अमेरिकी कंपनी ने भारत में अपनी गाड़ियों का उत्पादन बंद करने का फैसला लिया है और इसी के साथ करीब 4,000 कर्मचारियों का भविष्य भी अधर में लटक गया है।
दो दशक से अधिक समय से भारत में मौजूद फोर्ड अभी अपने सबसे मुश्किल दौर से गुजर रही थी।
पहले बंद होगा साणंद प्लांट
भारत में उत्पादन बंद करने की घोषणा करते हुए कंपनी ने कहा कि वह साणंद व्हीकल असेंबली प्लांट को 2021 की चौथी तिमाही और चेन्नई इंजन मैन्युफेक्चरिंग प्लांट को 2022 की दूसरी तिमाही में बंद करने जा रही है।
फोर्ड ने यह फैसला लेने से पहले सभी मौजूद विकल्पों पर विचार किया गया था। इनमें पार्टनरशिप, प्लेटफॉर्म शेयरिंग, कॉन्ट्रैक्ट मैन्युफेक्चरिंग और प्लांट को बेचने जैसे विकल्प शामिल थे। प्लांट को बेचने पर अब भी विचार किया जा रहा है।
पिछले कुछ सालों से भारत में फोर्ड को भारी नुकसान हुआ है। कंपनी ने बताया कि उसे पिछले 10 सालों में 2 बिलियन डॉलर से अधिक का नुकसान हो चुका है।
दूसरी तरफ फोर्ड मार्केट शेयर पर भी कब्जा नहीं कर पाई। भारत में बिकने वाली 100 गाड़ियों में से दो भी फोर्ड की नहीं होती।
कम मांग के चलते कंपनी के साणंद प्लांट में कुल क्षमता का 20 प्रतिशत ही उत्पादन हो रहा है, जिससे लागत बढ़ रही है।
क्या पूरी तरह बंद होगा फोर्ड का संचालन?
फोर्ड ने कहा कि वह भारत में अपना संचालन पूरी तरह बंद नहीं कर रही है और यह अपने ग्राहकों को स्पेयर और सर्विस मुहैया करवाती रहेगी।
कंपनी चुनिंदा आउटलेट्स के जरिये भारत में मौजूद रहेगी और वह मस्टैंग कूपे और मस्टैंग जैसी चुनिंदा कारों का आयात कर उनकी बिक्री करेगी।
जानकारी के लिए बता दें कि फोर्ड से पहले जनरल मोटर्स भी भारत से अपना कारोबार समेटकर लौट चुकी है। उसने अपना संचालन पूरी तरह से बंद किया था।
ग्राहकों पर क्या असर पड़ेगा?
भारत में फोर्ड के पहले से मौजूद इकोस्पोर्ट, फिगो, एस्पायर, फ्रीस्टाइल और इंडेवर आदि मॉडलों की इन्वेंट्री रहने तक बिक्री होती रहेगी। कंपनी ने कहा कि ग्राहक उसके लिए सर्वोच्च प्राथमिकता होंगे और वह मौजूदा ग्राहकों, डीलरों और सप्लायरों के संपर्क में है।
मांग में कमी और महामारी के अलावा महिंद्रा एंड महिंद्रा के साथ ज्वाइंट वेंचर का न चल पाना फोर्ड के लिए बड़ा झटका था।
दोनों कंपनियों ने 2019 में मैन्युफेक्चरिंग फैसिलिटी से लेकर इलेक्ट्रिक व्हीकल टेक्नोलॉजी तक शेयर करने के लिए हाथ मिलाया था।
दोनों कंपनियों के आकार और मॉडल्स को देखते हुए कागज पर यह साझेदारी दमदार दिख रही थी, लेकिन यह ज्यादा लंबी नहीं चल पाई और फोर्ड के पास कोई दूसरी योजना नहीं थी।
जनरल मोटर्स और हार्ले डेविडसन भारत में बंद कर चुकी अपना कारोबार
फोर्ड से पहले 2017 में जनरल मोटर्स ने भारत के लिए कार बनाना बंद किया था। पिछले साल हार्ले डेविडसन ने भी भारत में उत्पादन बंद कर दिया था। कंपनी ने कम मांग और बढ़ती लागत को इस फैसले का कारण बताया था।